बाल वाहिनी पर भारी मनमानी

बाल वाहिनी पर भारी मनमानी
नियमों की उड़ रही धज्जिया
चूरू (दैनिक हमारा गगन)। जिला मुख्यालय पर निजी स्कूलों में फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली पर लगाम कसने की सरकार और विभाग ने भले ही तैयारी कर रखी हो, लेकिन निजी स्कूलों ने केवल फीस के नाम पर ही नहीं बच्चों को स्कूल तक लाले जा रही बसों (बाल वाहिनी) को भी कमाई का जरिया बना रखा है। स्कूल संचालक अभिभावकों से पूरे वर्ष का किराया वसूलकर रहे हैं। जबकि स्कूल पूरे वर्ष में 9 माह ही संचालित होते हैं। दबी जुबान अभिभावक इसका विरोध भी करते हैं, लेकिन निजी स्कूल संचालक अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे। चूरू शहर में अधिकतर निजी स्कूलों के पास खुद की वाहन व बसें हैं। ताक पर बाल संरक्षण नियम स्कूल बसों के संचालक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी मखौल उड़ा रहे हैं। इसके अलावा बाल संरक्षण नियम भी ताक पर रख दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने स्कूली वाहनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे।इस आदेश का शिक्षा विभाग के साथ ही यातायात विभाग द्वारा पालन मुनासिब नहीं समझी जाती। दोनों ही विभाग बच्चों के भविष्य से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे को सामान्य प्रक्रिया मानकर न्यायालय के आदेशोंको हवा में उड़ा रहे हैं।खटारा बसें भी दौड़ रही शहर में कई स्कूल बसें खटारा चल रही हैं। उन पर रंग रोगन करके उन्हें चमकीला बनाकर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। मैजिक, ऑटो व वैन में जमकर ओवरलोंडिग की जा रही है। इसके बाद भी अभिभावक अपने बच्चों को इन वाहनों से स्कूल भेजने ने नहीं चूक रहे। शिक्षा अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान , निजी स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा अधिकारियों का भी ध्यान नहीं। अभिभावक कई बार निजी स्कूल संचालकों की मनमानी की शिकायत करते हैं, लेकिन अधिकारी लिखित शिकायत देने के नाम पर उन्हें टालते हैं।अभिभावकों की माने तो निजी स्कूल अब दुकानों के रूप में संचालित हो रहे हैं। अच्छी तालीम दिलाने की मजबूरी में उन्हें स्कूल संचालकों की मनमानी झेलनी पड़ रही है। अभिभावकों की माने तो विरोध जताने पर कई मर्तबा स्कूल संचालक बच्चों को टीसी लेकर चले जाने तक की धमकी दे देते है। स्कूल वाहनो के सुरक्षा मापदंड स्कूल बस पीले रंग की होनी चाहिए और उस पर नीले गहरे रंग की पट्टी लगानी अनिवार्य है। बस के आगे सफेद चमकीली पट्टी तथा पीछे लाल रंग की पट्टी होनी चाहिए।स्पीड कंट्रोल करने के लिए स्पीड गर्वनर लगे होने चाहिए। बस के आगे तथा पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए। किराए की बस पर ऑन स्कूल डयूटी लिखा होना चाहिए।बस के सभी आवश्यक परमिट, इंश्योरेंस, रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, पॉल्यूशन प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज पूरे होने चाहिए।बस का चालक अनुभवी होना चाहिए। उसके साथ एक परिचालक भी होने चाहिए।बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे लगवाना अनिवार्य है। इनकी 15 दिन की रिकॉर्डिंग क्षमता होनी चाहिए। बस में जीपीएस सिस्टम का होना अनिवार्य है।बसों के ड्राइवर, कंडक्टर और लेडीअटेंडेंट का पंजीकरण पुलिस वेरीफिकेशन अनिवार्य है। शहर में बस की स्पीड अधिकतम 50 किलोमीटर प्रति घंटा तक होनी चाहिए। बाल वाहिनी चालक एवं परिचालक निधारित वर्दी नेम प्लेट सहित होने चाहिए ऑटो में बच्चों की सुरक्षा के लिए भाई और लोहे की जाली लगाकर बंद होना चाहिए तथा बाल वाहिनी चालकों द्वारा अनिवार्य रूप से सीट बेल्ट लगाया जाना जरुरी होना चाहिए बाल वाहिनियों में सन एंड बॉक्स अग्निशामक यंत्र होना चाहिये लेकिन ऐसे ही दौड़ाई जा रही है जिन पर न तो निधारित रंग है नई स्कूल का नाम है नहीं उन पर नंबर है ओर न ही टैक्स जमा है अधिकतर वाहनों के तो कागजात भी सही नहीं मिलेंगे अगर इनसे नियमानुसार बाल वाहिनियों का उपयोग करवाया जाए तो बाल वाहिनियों में आने जाने वाले बच्चे सुरक्षित रहेंगे मगर नियम के लिए अपने फायदे के लिए कागजी कार्रवाई में ही नियम को फॉलो किया जा रहा है और सामने दृश्य में नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है । अगर पुलिस प्रशासन स्कूल बाल वाहिनी की जांच करें तो सामने आएगा शत प्रतिशत ही बाल वाहिनी पर नियमन सही है ।

Loading...