नहीं रुक रहा गांजा शराब जुआ एवं देह व्यापार

नवापारा-राजिम : नगर धीरे-धीरे असामाजिक धंधों का गढ़ बनता जा रहा है । अवैध शराब, गांजा, जुंऑं व देह व्यापार जैसे असामाजिक कृत्य लगातार फल-फूल रहे हैं । इन कृत्यों को चलाने वाले असामाजिक तत्वों पर पुलिस की कोई पकड़ नहीं है । कहा तो यहॉं तक जा रहा है कि नगर में सबकुछ आपसी मिलीभगत में चल रहा है । पुलिस को जब भी इन असामाजिक कृत्यों पर सवाल किया जाता है तो उल्टे सूचक पर जिम्मेदारी डालते हुए कहा जाता है कि संबंधित व्यक्तियों अथवा स्थानों की जानकारी दीजिए हम कार्यवाही करेंगे । हकीकत में पुलिस के कर्मचारियों को ऐसे कृत्य में शामिल लगभग हर शख्स की जानकारी है । नगर के सदर रोड, गंज रोड, सोमवारी बाजार सहित जाति विशेष के विभिन्न मुहल्लों में गांजा बिक रहा है । विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि उड़ीसा से सप्ताह में 1 से 2 क्विंटल तक गांजा नगर में पहॅुंचता है, जिन्हें गांजा सरगनाओं के खास आदमियों के निवास स्थल पर छिपाकर रखा जाता है । गांजा को निम्न तबके के लोगों तक आसानी से पहॅुंचाने के लिए छोटी-छोटी पुडि़या बनाकर 10-10 रूपए में बेचा जाता है । नगर के हर गली-मुहल्ले में खुलेआम हर वर्ग के पुरूषों, जिनमें स्कूली बच्चे तक शामिल हैं, गांजा का दम लगाते नजर आते हैं । गांजा से लोगों का दिमाग विकृत हो रहा है, जो कभी भी नगर की शांति के लिए खतरा बन सकता है । इसी तरह सरकार ने भले ही नियम बनाया है कि एक व्यक्ति को अधिकतम 4 पौव्वा से अधिक शराब मुहैया न हो । लेकिन शराब दुकानों के सेल्समैन व सुपरवाईजर की पैसा कमाने की ललक ने सरकार की इस योजना को पूरी तरह फेल कर दिया है । पहले ठेकेदारी प्रथा में जहॉं गांव-गांव में इक्के-दुक्के कोचिए थे, वहीं अब लगभग दर्जन भर कोचिए पैदा हो गए हैं । इसी प्रकार नगर के लगभग सभी मुहल्लों में कोचिए सक्रिय होकर अपने-अपने मुहल्ले व नगर की सुरक्षा तथा शांति के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं । कम उम्र के बच्चों के माध्यम से शराब की 4-4 बोतलें मंगाकर कोचिए अधिक दाम पर बेच रहे हैं । सरकारी दुकान भले ही सुबह 11 बजे खुलकर 10 बजे बंद हो जाती है, लेकिन ये कोचिए चौबीसों घंटे दुकान खोलकर बैठे रहते हैं । एक ओर जहॉं सरकारी दुकान के सेल्समैन 10 से 20 रूपए अधिक दाम पर ग्राहकों को शराब बेचते हैं, तो दुकान खुलने का इंतजार न कर पाने वाले ग्राहक इन कोचियो से 30 से 40 रूपए अधिक दाम पर शराब खरीद रहे हैं । नगर में जुंऑं फड़ सजाने वाले लोगों की कमी नहीं है । पहले अपराधी किस्म के लोग यह काम करते थे, लेकिन इस धंधे कीकमाई देख अब सभ्य घर के लोग भी फड़ सजाने में शर्म नहीं कर रहे हैं । रात के अंधेरे में बंद कमरे में लाखों का फड़ सजता है, जहॉं जुंऑंरियों को हर तरह की सुविधा दी जाती है । अगर कभी पुलिस इन घरों में पहॅुंच भी जाती है तो मामले को बेहद हल्का बनाकर पूरा मामला ही रफा-दफा कर दिया जाता है । भय यह बना हुआ है कि इन जुंऑं फड़ों में हारकर जाने वाला जुंऑंरी घर वापसी के समय रास्ते में किसी शख्स के साथ लूटपाट जैसी हरकत को अंजाम देने के साथ-साथ अन्य किसी तरह का आपराधिक कृत्य करना न शुरू कर दे ? नगर में पहले देह व्यापार खुले तौर पर चलता था, लेकिन तत्कालीन महिला थाना प्रभारी पूर्णिमा लामा की सख्ती के चलते यह व्यापार ऐसा बंद हुआ कि नगर में उनकी तैनाती तक शुरू ही नहीं हुआ । उनके जाते ही नगर में इस शर्मनाक कृत्य ने अपना सिर फिर उठाया, लेकिन अंदरूनी स्तर पर । आज भी यह स्थिति बरकरार है । अब देह व्यापार मुहल्ले विशेष के साथ-साथ बड़े स्तर पर हो रहा है । बाहर से आर्डर में कॉलगर्ल बुलाई जा रही हैं । नगर में किराये पर कमरा लेकर उनके साथ हवस के पुजारी मॅुंह काला कर रहे हैं । इससे आसपड़ोस के लोग अपने परिवार की महिलाओं व बच्चों की मानसिकता पर पड़ रहे बुरे असर से चिंतित हैं, लेकिन पुलिस को बताने की जहमत नहीं उठा पाते क्योंकि पुलिस को ऐसे धंधों के बारें में सूचित करने वालों को सूचक का नाम मालूम हो जाता है और फिर उसके साथ दुश्मनी शुरू हो जाती है । पिछले महीने नगर के दो स्थानों पर रायपुर से आई पुलिस की विशेष टीम ने अचानक छापा मारकर आधा दर्जन जोडि़यों को किराये के कमरों में मॅुंह काला करते पकड़ा था । इनमें महिलाओं को समझाईश देकर छोड़ते हुए पुरूषों के विरूद्ध प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई थी, जिन्हें एसडीएम ने तत्काल जमानत भी दे दी थी । आरोपियों के तत्काल जमानत पर लोगों ने आश्चर्य व्यक्त भी किया था । आरोपियों के विरूद्ध ऐसी ही लचीली कार्यवाही के चलते लोग सबकुछ जानते हुए भी अब पुलिस का सहयोग नहीं करना चाहते । इसका फायदा उठाते हुए देह व्यापार में शामिल लोग व किराये पर कमरा देने वाले लगातार अपने इस असामाजिक कृत्य मेंं लिप्त हैं । बड़ा सवाल यह है कि सभ्य लोगों का शहर कहा जाने वाला नवापारा नगर अब असामाजिक कृत्यों के गढ़ के रूप में कुख्यात होता जा रहा है । सभ्य लोग शर्म में जी रहे हैं और पुलिस व जनप्रतिनिधियों की चुप्पी के चलते खून का घूंट पीने को मजबूर हैं ।

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