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मथुरा एसएसपी डीएम सस्पेंड।
प्रतापगढ़ ।
: कौन थे एसपी मुकुल द्विवेदी?
– फायरिंग के दौरान मारे गए एसपी मुकुल द्विवेदी 1998 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे।
– 2000 में उनका प्रमोशन हुआ और डिप्टी एसपी बनाए गए।
– द्विवेदी के दो बेटे हैं। दोनों बरेली में पढ़ाई करते हैं। इस वक्त गर्मी की छुट्टी होने के कारण दोनों मथुरा में ही हैं।
परिवार ने CM, एडमिनिस्ट्रेशन पर क्यों उठाए सवाल?
– तीन फरवरी को ही द्विवेदी की मथुरा में उनकी पोस्टिंग हुई। यहां वे एडिशनल एसपी बनकर आए थे। बाद में एसपी बने।
– द्विवेदी की मां ने कहा- ”पैसे नहीं चाहिए। मुझे मेरा बेटा चाहिए। मेरे बेटे को मरवाने के लिए मथुरा भेजा था। मुख्यमंत्री मुझे मेरा बेटा ला दें। हम पति-पत्नी बुजुर्ग हैं। मेरेे बेटे के छोटे-छोटे बच्चे हैं।”
– एसपी के पिता मुकुल द्विवेदी ने कहा, ‘हम क्या कर सकते हैं। हमारा बेटा इतना अच्छा था कि जहां कहीं रहा, लोग कहते थे कि बड़े अच्छे संस्कार मिले हैं। हम कहते थे कि संस्कार भगवान ने दिए हैं। हमने उसे नैतिकता सिखाई है। अच्छे काम सिखाए हैं।”
– ”उसके दिमाग में था कि हम कैसे लोगों की मदद करें। उसी मदद करने के चक्कर में बलिदान दे दिया। एएसपी-डीएम ने क्या किया? लोगों ने वहां दो साल से कब्जा कर रखा था। उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की? मरवा दिया हमारे बेटे को।”
– बता दें कि इस हिंसा में मारे गए पुलिसवालों के परिजन के लिए यूपी सरकार ने 20 लाख के मुआवजे का एलान किया है
: दोस्तों और भाइयों
कल मथुरा में घटित हुई घटना पर मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी और लिखने के बाद जब मैंने उसे पढ़ा तो मेरी आंखों में आंसू आ गए।
आशा है आपको भी पसंद आएंगी।
उठा सबेरे पढ़ी खबर, मन को बहुत कष्ट हुआ,
हे मानव ! अपने लालच में तू, क्यों इतना पथ-भ्रष्ट हुआ ।।१।।
लोभी, कामी,लम्पट, क्या यही सत्याग्रही की परिभाषा है,
फलें-फूलें रहे अमन-चैन मेरे वतन में, यही “योगेश” की अभिलाषा है ।।२।।
क्या नहीं पता था सरकारों को, क्यों इतना इन्तजार हुआ,
दिल में टीस उठी बहुत, जब कान्हा का “मधुवन” बेजार हुआ ।।३।।
बीस लाख में पोंछे आंसू, जिनको अब ये होश नहीं,
पूछो उस नारी अबला से,जिसका अब “मुकुल” “सन्तोष” नहीं ।।४।।
निकले बिछुए टूटी चूड़ी, सजल मेरा नेत्र हुआ,
बजती थी मुरली की धुन रे कान्हा, तेरी नगरी में ही कुरुक्षेत्र हुआ ।।५।।
…आपका
Amit Bhargava
वह सिंघम लेडी मंजिल सैनी रही हों, सेल्फी लेडी चंद्रकला रही हों, या फिर आज के डीएम-एसएसपी : केवल फाइलों पर ही घोड़े दौड़ाते रहे यह अफसर, कामधाम धेला भर नहीं किया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : जवाहर बाग किसी जमीन्दार की बपौती नहीं, सरकारी जमीन है। यह नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति या लोगों का कोई समूह उस जमीन पर कब्जा कर ले, और सरकार टुकुर-टुकुर देखती ही रहे। ऐसी सरकारी जमीन पर कब्जा करने का अधिकार किसी को नहीं, बल्कि ऐसी हरकत करने वाले की जगह केवल हवालात या जेल ही है।
कितना दिलकश संकल्प है यह। आप किसी भी सरकारी नेता, प्रशासन या पुलिस के अफसर से जैसे ही ऐसे शब्द निकलते देखते हैं, आप अपने देश और प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर गर्व करने लगते हैं। सीना 56 इंच तक फूल जाता है और मारे खुशी के आप फूले नहीं समाते। लेकिन हकीकत ऐसी है नहीं। सरकारी जमीन अब किसी गरीब की जोरू की तरह है। वह महिला जिसका पति बेहद कमजोर हो। जिसका कोई पुरसाने हाल न हो। जिसे कोई भी शोहदा छेड़ने की क्षमता चुटकियों में रखता हो। और ऐसी हरकतें करने वालों पर खुद सरकार के इशारे पर ही सरकारी कारिंदे, प्रशासन और पुलिस के अफसर पीठ ठोंकते हों।
कम से कम मथुरा के मामले में यही हुआ। सरकार की बेशकीमती जमीन पर ढाई साल तक चंद गुण्डे सपा सरकार के चंद मंत्रियों के इशारे पर कब्जाते रहे, प्रशासन और पुलिस के अफसरों को सरेआम पीटते-धमकाते रहे और आला अफसर केवल उनकी शिकायतों को मामूली घटना के तौर पर ही डस्टबिन में डालते रहे। नतीजा, आज करीब तीन दर्जन से ज्यादा मौतों का जिम्मेदार हो गया यह हादसा। जिसमें आहुति बने मथुरा के बेमिसाल अफसर एसपी और एसओ, जो अब जिन्दा होने के बजाय आज दीवार पर माला पर जड़ चुके हैं।
अब सवाल यह है कि मथुरा के कौन कौन सारे के सारे आला अफसर इस नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं। सूत्र बताते हैं कि चाहे वह लखनऊ की नई नवेली एसएसपी और सिंघम-लेडी के तौर पर मशहूर मंजिल सैनी रही हों, बुलंदशहर में अपनी अभद्रता के लिए कुख्यात रही सेल्फी-लेडी चंद्रकला रही हों, या फिर आज के डीएम-एसएसपी। कहने की जरूरत नहीं कि यहां के डीएम राजेश कुमार और एसएसपी ने इस मामले में जितनी भी घटिया और घिनौनी हरकत की, वह शर्म से परे है।
अब इस मामले पर सख्ती करने का नाटक और नौटंकी बुनी जा रही है। यह जानते हुए भी कि यह हादसा किन कारणों से हुआ, उसका जिम्मेदार कौन है और कौन-कौन मंत्री के उन उपद्रवी लोगों की पीठ ठोंकते हुए जमीन पर कब्जा करने पर आमादा था, राज्य सरकार अब तक इस मामले में केवल मामले पर चादर-राख डालने की ही कोशिश कर रहा है। बजाय इसके कि मथुरा के जिला प्रशासन और पुलिस के अफसरों पर सख्त कार्रवाई की जाती, सरकार ने अब तक कोई भी गम्भीरता का प्रदर्शन नहीं किया है।
मथुरा हादसे में दर्जनों लाशें बिखरती रहीं, लेकिन पत्रकार सूंघ तक नहीं पाये : हद कर दी है हिन्दी पत्रकारिता के बहादुर पहरूओं ने : यह नहीं खोज पाये कि रामबृक्ष यादव कौन है, जिसे गुरूजी पुकारा जाता है : इस हादसे में सिर्फ दारोगा और एसपी की लाश उठाते रहे यह नामचीन अखबार :
कुमार सौवीर
लखनऊ : मथुरा में दिल दहला देने वाले हादसे ने प्रशासन ही नहीं, अखबारों की भी कलई नोंच कर फेंक डाली है। आज लखनऊ के तीन बड़े हिन्दी अखबारों के रंग-बिरंगे पन्नों पर एक नजर डालिये। साफ लगेगा कि यह लोग आम आदमी की नहीं, पुलिस और प्रशासन आंखों से ही देख रहे हैं और उनकी जुबान ही बोल रहे हैं। हैरत की बात है कि यह अखबार खुद को आम आदमी की जुबान बनने का दावा करते हैं। दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान अखबारों ने तो पत्रकारीय दायित्वों को ही ठेंगा दिया आज। पूरा अखबार ही पुलिस और प्रशासन की आवाज में कदमताल करता दिख रहा है। हर्फ दर हर्फ ठीक वही लिखा है, जो पुलिस ने बताया है मथुरा कांड पर। सरकारी भोंपू के तौर पर। इन समाचारपत्रों ने इस हादसे पर न तो आम आदमी की आवाज बनने की कोशिश की है और न ही अपनी ओर से तनिक भी छानबीन करने की जहमत उठायी है।
देख लीजिए कि दैनिक जागरण ने क्या खबर लिखी है। इसके पहले पन्ने पर सबसे बड़ी खबर यकीनन मथुरा कांड ही है। लेकिन खबर का शीर्षक है:- मथुरा में उपद्रव, एसपी-दारोगा शहीद।
हैरत की बात है कि खबर के उप शीर्षक में लिखा गया है:- कथित सत्याग्रहियों से मुठभेड़, डेढ़ दर्जन पुलिस कर्मी और दो दर्जन आंदोलनकारी घायल। हिन्दुस्तान ने दो कदम और बढ़ा लिया। शीर्षक लिखा है कि :- मथुरा में पुलिस पर हमला, एसपी-एसओ शहीद।
इसकी सब-हेडिंग में लिखा गया है कि:- खूनी संघर्ष: अवैध कब्जा हटाने गयी पुलिस टीम पर की गयी अंधाधुंध फायरिंग, पुलिस की जवाबी कार्रवाई में एक अवैध कब्जेदार भी मारा गया।
जबकि अमर उजाला ने इस खबर पर हेडिंग लगायी है:- मथुरा में कब्जा हटाने पहुंची पुलिस पर फायरिंग और बमबारी में एसपी सिटी समेत 20 की मौत।
इन तीनों अखबारों की चिंता क्या है, इसमें आप साफ-साफ समझ सकते हैं। कमाल की है इस पत्रकारिता का, कि 18 आम आदमी की मौत की खबर ही गोल कर दी गयी।
यहां के जां-बाज पत्रकारों को केवल यह दिखा जो पुलिस प्रशासन ने बताया। उससे तनिक भी हेरफेर नहीं की। न कुछ खोजने की कोशिश की और न जानने की जहमत उठायी। नहीं खोज पाये कि रामबृक्ष यादव कौन है जो हजारों निरीह लोगों को दो साल पहले जवाहरबाग में अवैध कब्जा किये बैठे था। वह कहां से आया और उसे कहां जाना था, उसका शिजरा क्या है, उसका मकसद क्या है। उसके सत्याग्रह का मकसद क्या है। उसके पास इतने आदमी कैसे आ गये। उसकी और उसके समर्थकों की आय का स्रोत क्या है। पिछले ढाई साल से तीन सौ एकड़ जमीन पर कब्जा किये लोगों की मंशा क्या थी। जब इस जवाहर बाग को खाली कराने के लिए चार जून की तारीख मुकर्रर की गयी थी, तो अचानक उसे क्यों दो जून में बदल दिया गया। सवाल तो यह भी पूछा जाना चाहिए था कि दो दिन की वैध मोहलत के बावजूद प्रशासन ने उस कब्जे को हटाने के लिए ढाई साल का वक्त क्यों लिया।
इन और ऐसे ही अनेक सवालों पर यह पत्रकार चुप्पी साधे हैं।
: प्रेम की नगर में लाशों और चीत्कारों का माहौल बनाने का जिम्मेदार कौन : सरकारी कारिन्दे सच के अलावा बाकी सब आवाजें निकल रहे : डीजीपी का बयान है कि रेकी के दौरान हुआ हंगामा : डीएम ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर बता दिया था कि कब्जा हटाया जाएगा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : रेकी का मतलब होता है खुफिया तौर पर सारे संकेतों को हासिल करना। वह सारी की सारी सूचनाएं प्राप्त करना जो अब तक पोशीदा यानी छिपी हुई हैं। उस खबरों को खोज निकाल देना जिनसे ऑपरेशन में दिक्कतें आ सकती हैं। वह सारे पुख्ता रास्ते खोजने की गुपचुप कवायद को ही रेकी कहा जाता है जिनके बल पर कोई भी बड़ा अभियान सफल किया जा सकता है।
लेकिन मथुरा में उसका उल्टा ही हो गया। यूपी के डीजीपी ऐलान कर रहे हैं कि मथुरा में अवैध कब्जे में फंसी सरकार की 300 एकड़ जमीन को मुक्त कराने के जो अभियान होना था, उसकी रेकी के दौरान ही मामला भड़क गया। रेकी कर रहे पुलिसवालों से कब्जेदारों ने झड़प की और मामला तूल पकड़ गया। इतना कि प्रेम की नगरी मथुरा में आग लग गयी। जहां स्नेह की धारा बहती थी, वहां लाशों के ढेर लगे और चीत्कारों का भयावह रूदन गूंजने लगा। लाशों की खोज अभी भी जारी है।
लेकिन हैरत की बात है कि जो काम रेकी के लिए खामोशी के लिए होना चाहिए था, उस पर हंगामा की नौबत ही क्यों आयी? जवाब यह कि यह प्रशासन और अपराधियों की आपसी मिली-भगत का नतीजा था। कम से कम मेरे विश्वस्त सूत्रों ने तो यही खबर दी है कि रेकी के दौरान जो बवाल हुआ, वह पूरा सोचा-समझा और बाकायदा एक सुनियोजित साजिश-षडयंत्र ही था।
सवाल यह उछल रहे हैं कि अगर पुलिसवाले जवाहरबाग की रेकी करने गये थे, तो फिर यह हंगामा क्यों हुआ। जाहिर है कि उन उपद्रवियों को पता चल गया था कि मामला गड़बड़ है। इसका मतलब यह कि पुलिस की प्लानिंग का खुलासा पहले ही हो चुका था और उपद्रवी पहले से ही सतर्क थे।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार मथुरा के प्रशासन और पुलिस के अफसरों ने ही इस मामले को बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करके बताया था कि प्रशासन उस जमीन पर से कब्जा हटायेगा। एक अन्य अधिकारी के अनुसार यह सारी की सारी एक साजिश थी, जिसमें प्रशासन और पुलिस के हाथ रंगे हुए थे। जो भी पुलिस मौके पर भेजे गये, उनमें से ज्यादातर अंडर-ट्रेनिंग थे।
फिर उस कवायद को रेकी का नाम क्यों दे रहे हैं हमारे डीजीपी साहब?
नगर पालिका परिषद बहराइच के निर्माण कार्या की जॉच के लिए समिति गठित
बहराइच 03 जून। नगर पालिका परिषद बहराइच के अन्तर्गत डायमण्ड टाकीज से अग्रसेन तिराहा तक निर्मित तथा मोहल्ला सूफीपुरा में निर्माणाधीन नालों के बरसात के कारण ध्वस्त होने के सम्बन्ध में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों तथा जनसामान्य से प्राप्त हो रही शिकायतों का कड़ा संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी अभय ने इन परिस्थितियों के दृष्टिगत शासकीय व जनसामान्य के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्यां की जॉच के लिए कमेटी का गठन किया है।
गठित कमेटी में डिप्टी कलेक्टर, नागेन्द्र कुमार अध्यक्ष, लो.नि.वि.प्रा.ख. के सहायक अभियन्ता उमा प्रसाद यादव, अवर अभियन्ता संजय श्रीवास्तव व सत्येन्द्र वर्मा तथा ग्रा.अभि.से. के अवर अभियन्ता डीएन सिंह सदस्य होंगे। कमेटी को निर्देश दिये गये हैं कि वे तत्काल मोहल्ला सूफीपुरा व स्टेशन रोड पर ध्वस्त हुए नाले की जॉच मानक को ध्यान में रखते हुए प्रयोग में लाये गये सामग्री का परीक्षण कर एक सप्ताह में आख्या उपलब्ध करायें। ताकि दोषियों के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाई करायी जा सके जिससे भविष्य में ऐसे कार्यां की पुनरावृत्ति न हो और शासकीय धन के दुरूपयोग पर अंकुश लगाया जा सके।
कमेटी को यह भी निर्देश दिये गये है कि नगर पालिका परिषद बहराइच के अधि.अधि. से सम्पर्क कर वर्ष 2015-16 व चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिन-जिन स्थानों पर इन्टर लाकिंग नाला/नाली आदि का निर्माण कराया गया है की सूची प्राप्त कर कार्य की गुणवत्ता की स्थलीय जॉच कर स्थिति से अवगत कराती रहे ताकि पालिका द्वारा कराये जा रहे कार्यों की गुणवत्ता मानक के अनुसार सुनिश्चित कराया जा सके।
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बी.सी.एम.हॉस्पिटल कि नर्सिंग छात्रा से छेड़छाड़ !
मनचले युवक ने उस समय छेड़ा जब छात्रा हॉस्पिटल से जा रही थी अपने घर !
शिकायत करने पर जान से मारने की दी थी धमकी !
जीवन ज्योति कान्वेंट स्कूल के सामने कि है घटना !
लड़की ने मनचले युवक के विरुध्द दी थी पुलिस को लिखित सूचना !
कस्बा इंचार्ज ए.के.तिवारी ने युवक को पकड़कर भेजा जेल
आई पी सी की धारा 354, 506 के तहत मुकदमा दर्ज !
: उतर प्रदेश मे 13 आईएएस अधिकारियो के तबदले
ऑडियो प्रकरण की जाँच शुरू,बेनकाब होंगे कई उच्चाधिकारी
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हरदोई। बाल-विकास विभाग में एक महिला अधिकारी को लेकर विकास भवन के दो उच्चाधिकारियों द्वारा की गयी अमर्यादित टिप्पणी का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से दोनों अधिकारियों की गर्दन फंसती नजर आ रही है। इस मामले की जाँच पुलिस की साइबर सेल को सौंपी गयी है। ऑडियो में डीपीओ प्रकाश चौरसिया व हरदोई के तत्कालीन सीडीओ वीके गुप्ता की आवाजें सुनाई दे रही हैं। उक्त अधिकारियों द्वारा एक महिला अधिकारी के प्रति अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया गया है। इस आधार पर पुलिस दोनों अधिकारियों को तलब कर सकती है। इस प्रकरण की जाँच शुरू होने की खबर लगते ही शुक्रवार को बाल विकास विभाग में हडकंप मच गया। बेशक इस जांच से डीपीओ प्रकाश चौरसिया का असली चेहरा बेनकाब होगा। यही नहीं कई और उच्चाधिकारी भी बेनकाब हो जायेंगे जो महिलाओं का शारीरिक व मानसिक उत्पीडन करने के शौकीन रहे हैं। जाँच से भयभीत डीपीओ ने शुक्रवार को तमाम ब्लाकों की सीडीपीओ व मुख्यसेविकाओं का हुजूम सरकारी व निजी खर्चे पर एकत्र किया, और स्वयं को चरित्रवान दर्शाने के लिए उन्हें पुलिस कार्यालय भेज दिया। महिलाओं के इस हुजूम ने भी डीपीओ का साथ देते हुए जमकर तारीफ की। मीडिया से कहा डीपीओ ने उनका कभी शोषण नही किया। तो फिर वह किसी एक का कैसे कर सकते हैं। वह बहुत अच्छे इंसान है। हैरत वाली बात है कि महिलाओं का ये समूह उस महिला अधिकारी के साथ खड़ा नजर नहीं आया जिसे लेकर दो अधिकारियों ने अशोभनीय शब्दों का प्रयोग किया था। अपने-अपने क्षेत्रों पर न जाकर तमाम सीडीपीओ व मुख्य सेविकाओं ने डीपीओ को निर्दोष साबित करने के लिए पीड़ित महिला अधिकारी के खिलाफ ही जहर उगला। और पुलिस में अपने-अपने बयान दर्ज कराये। पुलिस सूत्रों के अनुसार ऑडियो प्रकरण की जांच सीओ सिटी रामलाल राय के नेत्रत्व में शुरू कर दी गयी है। डीपीओ, तत्कालीन सीडीओ व पीड़ित महिला अधिकारी से संपर्क साधा जा रहा है। तीनो से इस मामले पर विस्तृत पूंछतांछ की जाएगी। दोषी पाए गये अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया जायेगा।
रवि सिंह ओके इण्डिया हरदोई।।।।।
जवाहरबाग प्रकरण अब तक—-
एसपी सिटी, एसएचओ शहीद, कुल २४ मौतें, दर्जनों घायल
-कथित सत्याग्रही सरगना रामवृक्ष के भी मारे जाने की चर्चा
-भारी संख्या में अवैध असलाह बरामद, सैकडों कथित सत्याग्रही जेल भेजे
-जवाहरबाग के उपद्रवियों पर लगेगी रासुका : डीजीपी
-शासन ने जवाहर बाग कांड की जांच अलीगढ़ कमिश्रर को सौंपी :
एकड़ो में फैले जवाहर बाग कब्जा प्रकरण में गत दिवस हुई हिंसक भिडंत में दो पुलिस अधिकारियों के शहीद हुए एवं इस प्रकरण में कुल २४ लोग मारे गये, जिनमें एक महिला भी शामिल है। जबकि दर्जनों लोग घायल हैं जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। एसपी सिटी एवं एसएचओ की शहादत पर ब्रज में शोक का महौल व्याप्त है। इस प्रकरण में कथित सत्याग्रहियों का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव के मारे जाने की खबर है, इस इस संबंध में डीजीपी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हो सकता है मारा गया हो और अगर नहीं मारा गया है तो उसे अतिशीघ्र गिरफ्तार कर जेल भेजा जायेगा। पुलिस ने जवाहर बाग खाली करा लिया है। बड़ी संख्या में हथियारों का जखीरा व कारतूस बरामद किये हैं तथा सैकडों की संख्या में कथित सत्याग्रहियों को गिरफ्तार किया गया है। शासन ने मथुरा के जवाहरबाग कांड की जांच आगरा कमिश्नर आईएस प्रदीप भटनागर से जांच वापस लेकर अलीगढ़ कमिश्नर चन्द्रकांत को दी गयी है।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जावेद अहमद ने आज पुलिस लाइन में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि मथुरा जिले के जवाहर बाग प्रकरण में उपद्रवियों के खिलाफ एनएसए लगाई जाएगी। उनका कहना था कि जवाहरबाग अब पूरी तरह से खाली करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच कराई जाएगी कि इनकी फंडिंग कहां से हो रही थी। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों से जवाहरबाग को खाली करा लिया गया है तथा उनके पास से भारी मात्रा में हथियार आदि मिले हैं।
प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पाण्डा, विशेष सचिव मणिशंकर मिश्रा एवं एडीजे कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा0 राकेश सिंह की उपस्थिति में उन्होंने बताया कि इस घटना में जहां एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी समेत दो पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं वहीं 22 उपद्रवी मारे गए हैं जिनमें एक महिला भी शामिल है। उन्होंने बताया कि जवाहरबाग मुक्ति के इस प्रयास में 23 पुलिसकर्मी अस्पताल में भर्ती है जिनमें से कुछ को गंभीर चोटें भी आई हैं। इन पुलिसकर्मियों केा जवाहरबाग के कब्जाधारियों ने बड़ी बेरहमी से मारा है तथा मरा हुआ ही छोड़ा है।
उपद्रवियों के पास से 47 कट्टे, 6 राइफल एव 178 जिंदा कारतूस बरामद किये गए हैं। इसके अलावा 15 गाडियां और 6 मोटरसाइकिल भी बरामद हुई हैं। गाडियों के रजिस्ट्रेशन से उनके मालिकों एवं उनके रेकार्ड को देखा जाएगा। बलबा करने के आरोप में जहां 124 लोग गिरफ्तार किये गए हैं वहीं 80 पुरूषों एवं 116 महिलाओं को 151 में बंद किया गया है। कब्जेदारों के नेता रामवृक्ष यादव, चन्दन गौड़, राकेश गुप्ता के बारे में अभी सही जानकारी नही है यदि ये मारे नही गए है तो इनको गिरफ्तार किया जाएगा। घटना का पूरा विवरण देते हुए पुलिस महानिदेशक ने कहा कि वास्तव में गुरूवार को जवाहरबाग खाली कराने की कोई योजना न थी तथा पुलिस पार्टी पर तब आक्रमण किया गया जब वह क्षेत्र का रैकी कर रही थी। जवाहर बाग को खाली कराने का अभियान तीन दिन बाद शुरू करना था। उन्होंने बताया कि प्रशासन का उद्देश्य जनहानि को रोकना था इसीलिए 10-15 दिन से इस पर मंथन चल रहा था किंतु गुरूवार को जिस समय पुलिस पूर्व निरीक्षण कर रही थी कब्जेदारों ने पेड़ पर चढ़कर गोलियां चलाईं, पथराव किया तथा लाठी डंडों से आक्रमण किया। इसी में दो बहादुर पुलिसकर्मी जख्मी होने के बाद शहीद हुए। इसके बाद ही पुलिस ने संयम बरतते हुए कार्रवाई की। उपद्रवियों ने जाते समय उन झोपडियों में भी आग लगा दी जिसमें गैस के सिलिन्डर तया गोला बारूद था। उनका कहना था कि आग लगने से विस्फोट हुए तथा कुछ उपद्रवी जख्मी भी हुए जिनकी बाद में मौत हो गई। डीजीपी ने बताया कि इन उपद्रवियों की गतिविधियों से आसपास के लोग भी काफी दु:खी थे इसलिए जब ये भाग रहे थे तो जनता ने इनकी काफी पिटाई भी की। जो घायल हैं उनमें से लाठी डंडे से अधिक घायल हैं। 11 लोग आग से झुलसे हैं। उन्होंने कहा कि जो दो पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं उन्हें सलामी देकर आज अंतिम विदाई दी गई। उनका कहना था कि शासन उनके परिवारों की पूरी मदद करेगा।
पूर्व में शुक्रवार को दोनों शहीद पुलिसकर्मियों को अंतिम सलामी दी गई तथा जनता की ओर से पुष्पगुच्छ से शोक प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की गई। स्वयं डीजीपी ने इन शहीदों को पुष्पगुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी को श्रद्धांजलि देने के लिए अपार जन समूह उमड़ पड़ा था।
राज्यपाल ने मुंबई से फोन कर मुख्यमंत्री से जानकारी ली :
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुंबई से फोन कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मथुरा के जवाहरबाग मामले की जानकारी ली। उन्होंने यह भी कहा है कि मामले की उचित जाँच कराकर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करके कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाये। श्री नाईक ने मथुरा के जवाहरबाग मामले में अपने कर्तव्य को निभाने वाले शहीद पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी व थानाध्यक्ष संतोष यादव की गोली लगने से हुई मृत्यु पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा है कि इस कठिन घड़ी में सरकार सहित प्रदेश की जनता शहीद पुलिस अधिकारियों के परिवार के साथ है। उन्होंने दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करने की कामना करते हुए दुखी परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना प्रेषित की है।
वही शहीद पुलिस अधिकारियों के परिजनों ने ठुकरायी मदद की पेश :
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा मथुरा के जवाहरबाग में अवैध कब्जेदारों द्वारा की गयी फायरिंग में मारे गये दो पुलिसकर्मियों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने के ऐलान के बीच मृतकों के परिवारों ने सहायता की पेशकश को सिरे से खारिज कर दिया है।
प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एमसी द्विवेदी के भतीजे मथुरा के पुलिस अधीक्षक (नगर) मुकुल द्विवेदी की माता श्रीमती मनोरमा द्विवेदी ने श्री यादव की पेशकश को ठुकराते हुए कहा कि उनको अपना बेटा वापस चाहिए।
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कौन है हिंसा का मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव :
मथुरा में हुए मौत के तांडव का सरगना रामवृक्ष यादव है। करीब 5000 कथित सत्याग्रहियों का ये सरगना यूपी के गाजीपुर का रहने वाला है। यह पहले जयगुरुदेव का शिष्य हुआ करता था। गुरू की विरासत का दावा करने वाले रामवृक्ष की दाल जब नहीं गली तो वो उनसे अलग हो गया। यही नहीं उसने गुरू के आश्रम पर हमले की साजिश भी रची। उस समय शहीद हुए मुकुल द्ववेदी मथुरा में ही सीओ सिटी थे और रामवृक्ष सहित उनके साथियों को मथुरा सीमा के बाहर छोडकर आये थे, बाद में अपनी मांगो को लेकर धरने के नाम पर वो मथुरा के जवाहर बाग में आया और धीरे-धीरे करीब एकड़ो जमीन पर अवैध कब्जा कर बैठा। इस संबंध में जयगुरूदेव संस्था के प्रमुख पंकजबाबा ने कहा था कि जवाहरबाग कब्जाखोरों से उनकी संस्था का कोई लेना देना नहीं है।
रामवृक्ष यादव पर जानलेवा हमले और धमकियों के आरोपों की फेहरिस्त के साथ ही उसकी ताकत भी बढ़ती गई। जो संस्था पिछले दो साल से सत्याग्रहियों के नाम से मथुरा में कब्जा जमाए बैठी थी, उनके पास से हथियारों का जखीरा बरामद हुआ। हैरान करने वाली बात ये है कि प्रशासन को पिछले दो साल में उनकी करतूतों की भनक तक न लगी। अपनी गुंडागर्दी और अपराध को वह एक संस्था के नाम पर अंजाम देता रहा। इस संस्था का नाम आजाद भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही है।
इस संस्था का काम आजाद भारत में गुंडागर्दी, अवैध कब्जा और आसपास रहने वालों को सताना है। हैरान करने वाली बात ये कि इस संस्था ने दिल्ली में धरना-प्रदर्शन के नाम पर मथुरा में अड्डा जमाया और दो साल तक जवाहरबाग में जमे रहे। मथुरा के इन सत्याग्रहियों ने एक दिन में जो सत्यानाश किया वो पुलिस के लिए हजम करना भारी पड़ रहा है। भयावह गोलीकांड में नुकसान को झेलने के बाद जब पुलिस ने इन सत्याग्रहियों के अड्डे को कब्जे में किया तो वहां से हथियारों का जखीरा बरामद हुआ।
हथियारों का जखीरा बरामद
– 315 बोर की 45 पिस्तौलें
– 12 बोर की 2 पिस्तौलें
– 315 बोर की 5 राइफलें
– राइफल के 80 जिंदा कारतूस
– 12 बोर के 80 कार्टिजेस
– 320 बोर के 5 खोखे
संस्था की हास्यास्पद मांगें
आजाद भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही संस्था की मांग है कि भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द किया जाए। इस समय की प्रचलित मुद्रा की जगह आजाद हिंद फौज करेंसी शुरू की जाए। एक रुपये में 60 लीटर डीजल और एक रुपये में ही 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री शुरू की जाए। प्रणव मुखर्जी और नरेन्द्र मोदी को गैर भारतीय घोषित किया जाए। चूंकी इस संस्था के लोग सुभाष चन्द्र बोस के अनुयायी हैं, इसलिए उन्हें सेनानी का दर्जा दिया जाए। उनको पेंशन के साथ ही जवाहर बाग में स्थायी निवास दिया जाए।
ऐसे हुआ मौत का तांडव
दरअसल पूरा मामला मथुरा के जवाहरबाग में एकड़ो जमीन पर कब्जे से जुड़ा है। इस पर सत्याग्रही संस्था ने अवैध कब्जा कर लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका के बाद अदालत ने आदेश पारित किया और आदेश दिया कि जल्द से जल्द अतिक्रमण की गई जमीन को खाली करें। कोर्ट ने अपने आदेश को लागू करने के लिए पुलिस को निर्देश पारित किया। पुलिस अतिक्रमण हटाने गई थी, जिस पर सत्याग्रहियों ने हमला बोल दिया। इसमें दो पुलिस अफसरों सहित 24 लोग मारे गए हैं, जिनमें एक महिला भी शामिल है।
गोपाल सिंह
ओके इंडिया न्यूज
मथुरा
ब्रेकिंग . इलाहाबाद थाना सोरावँ के फाफामऊ गद्दोंपुर में सड़क दुर्घटना मे राजकुमार मिश्र 62 वर्ष् की मौत व कृष्ण कुमार मिश्र घायल दोनों सगे भाई है ट्रक ने मारी टककर
नेपालगंजरोड रेलवे स्टेशन के सहायक अधीक्षक व चालक निलंबित
बहराइच। नेपालगंजरोड रेलवे स्टेशन पर गुरुवार सुबह गोंडा जाने वाली पैसेंजर ट्रेन डेढ़ घंटे गार्ड व चालक के विवाद में खड़ी रही।
इससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई। सूचना मिलने पर पूर्वोत्तर रेलवे के वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक लखनऊ ने सहायक स्टेशन अधीक्षक व ट्रेन चालक को निलंबित कर
पूर्वोत्तर रेलवे के डीओएम ने की कार्रवाई कर स्पष्टीकरण तलब किया है। साथ ही जांच के आदेश दिए हैं।रिपोर्ट:-महेश चंद्रगुप्ता ओ के इंडिया न्यूज बहराइच
[6/3, 11:19 PM] +91 94570 12832: ब्रेकिंग इलाहाबाद ओके इंडिया इलाहाबाद के मऊ आइमा में सदभावना नाइट क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल मैच राजधानी क्रिकेट क्लब और मऊआइमा स्पोर्टिंग क्लब के दरमियान खेला जा रहा है इस मैच में मुख्य अतिथि सोरांव विधानसभा से सपा विधायक सत्यवीर मुन्ना सोराव sdm और मवाना नगर पंचायत चेयरमैन शोएब अंसारी और सपा जिला उपाध्यक्ष मेराज आरिफ सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद है
मथुरा ब्रेकिंग…..बड़ी खबर एक्सलुसिव …….
जवाहरबाग कांड में एस पी सिटी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा……
एस पी सिटी की मौत गोली से नहीं शरीर में आई कई चोट के साथ ही सर में आई गहरी चोटों के चलते हुई हेड इंजरी से हुई मौत …..
एस पी सिटी मुकुल द्विवेदी के सुरक्षा कर्मियो की लापरवाही आई सामने…..
सवाल यह की आखिर एस पी सिटी की सुरक्षा में तैनात रहने वाले सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी के बाद तथा कथित सत्याग्रहीयो ने एस पी सिटी को कैसे घेरा और बेरहमी से कैसे की पिटाई ……….??????
ब्रेकिंग….. बड़ी खबर…….एक्सलुसिव…..
UP सरकार से की IPS एसोशियन ने मांग …..
1करोड़ रूपये का कम्पन्सेसन मिले मथुरा में शहीद हुए SP के परिवार को……..
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